बहुत दिनों तक दिल्ली से बाहर रही इसलिए कुछ लिख नही पाई लेकिन अब फिर से दिल्ली मे हूँ इसलिए कुछ पंक्तिया लिख रही हूँ
तेरे दर पे आई हूँ ,ले के फिरयाद
तू तो जानता हैं ,क्या हैं मेरी मुराद
मेरे दिल की कोई बात ,तुझसे कहाँ छुपी है
पूरी कर दे आज , मेरी हर मुराद
तेरे सिवा और कौन ,मेरा अपना है
एक तेरा दर ही ,मेरा सहारा है
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