कभी कभी ये सोचती हूँ कि
क्या आंतकवादी इंसान नही होते
अगर होते है तो
क्यों उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारती नही है……….जब वो निर्दोषों का लहू बहाते है
क्यों उनकी आत्मा उनसे ये नही पूछती कि ………. वो मासूम जिंदगियों को क्यों तबाह कर रहे है
सड़क पे पड़े मांस के चीथडो को देखके भी वो कैसे चैन से सो पाते है
कहीं उनके शरीर में दिल की जगह पत्थर तो नही है
हाँ ,ऐसा ही होगा
तभी तो किसी की चीखो से उनका दिल नही पसीजता
ऐसा ही है
तभी तो किसी की बर्बादी में उन्हें अपना मकसद पूरा होता दिखता है
शायद उनके पास दिमाग भी नही होता ……….
तभी वो ये नही समझ पाते आख़िर वो क्या कर रहे है
जो आग आज वो दूसरो के घर में लगा रहे है
उससे वो भी नही बच पाएंगे
हाँ ,शायद वो इंसान नही होते ……………
जिसके पास दिल,दिमाग और आत्मा ना हो वो इंसान हो भी कैसे सकता है
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इंसान
Posted in Uncategorized, tagged आत्मा, इंसान, दिमाग, दिल, पत्थर, मकसद, मासूम, शरीर, सड़क, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on सितम्बर 15, 2008| 7 Comments »