आज फिर कान्हा धरती पर आएँगे
फिर लीला दिखलाएँगे
फिर मटकी तोड़ के माखन चुराएंगे
आज फिर कान्हा धरती पर आएँगे
फिर गोपियों संग
यमुना तीर पर रास रचायेंगे
आज फिर बर्ज श्याम रंग में रंग जाएगा
आज फिर कान्हा धरती पर आएँगे
फिर गीता की वाणी गूंजेगी
फिर भटको को राह दिखायेगे
आज फिर कान्हा धरती पर आएँगे
मेरे कान्हा आज फिर धरती पर आयेंगे