दबे कदमो से
सब से छुपते छुपाते
आज चाँद उतर आया मेरे आँगन ।
सुना था कि,
चाँद में दाग होता है ।
हां ,दाग तो था , पर,
वो उसकी खूबसूरती को ओर भी बढा रहा था।
मैं उसकी आभा में ऐसी खोई,
कि एकटक उसे निहारती ही रही
जाने कब तक ।
जब होश आया तो, उससे कुछ कहना चाहा
पर,
उसके जाने का समय हो गया था ।
वो बिना कुछ कहे,
बिना कुछ सुने,
बस अपना दीदार करा कर चला गया
चाँद
दिसम्बर 29, 2008 kmuskan द्वारा
मनमोहक रचना के लिए बधाई स्वीकारें
बहुत ही सुंदर कविता, सुंदर चित्र.
धन्यवाद
सुंदर लिखा है…
फोटो देख कर लगता है की जैसे यही मेरे ख्वाबों की शहजादी है…
—मीत
waah bahut sundar,jaise chand ke saath ehsaas utare ho jami par,naya saal bahut mubarak
Very nice I love your work…keep up the great work.
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चाँद में दाग तो था परन्तु वह उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहा था / इसे कहते हैं पोजिटिव थिंकिंग /यह बहुत स्वाभाविक बात है कि सुन्दरता सामने हो तो उसे देखता ही रहा जाए या कुछ कहा भी जाए किसी ने ऐसी ही स्थिति वाबत कहा होगा “”वो सामने भी है और मुखातिव भी ,उनको देखूं कि उनसे बात करुँ “/
चित्र से मिलती रचना और रचना से मिलता चित्र / यदि पहले चित्र मिला फिर रचना लिखी तो बुद्धि सराहनीय और अगर पहले रचना लिखी फिर उसके अनुकूल चित्र तलाशा तो खोज सराहनीय
ur poem really very wonderful as well as the moon in the dark sky