मै तेरी परछाई हूँ
सदा तेरे संग चलूगी ।
रूप रंग आकार तो बदल सकता है
पर हर रूप रंग आकार मे तेरा साथ िनभाऊँगी ।
ँजब भी याद करोगे
अपने पास ही पाओगे ।
जब भी नजरे ऊठाओगे
अपने सामने ही पाओगे ।
भीड मे भी गर कभी घेर ले तनहाई
तो उन तनहाईयो मे देने तुमहारा साथ मै ही आऊँगी ।
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परछाई
Posted in zindagi, tagged Blogroll, hindi poetry, kala, kavita, muskan, parchai, tanhai on अप्रैल 29, 2008| 2 Comments »