दूर से आती रोशनी की एक किरण मन मे कही आशा की लौ जगा जाती है
अंध्रो से लड़ने का हौसला दे जाती है
निराशा के मरुस्थल मे पानी की एक बूंद सी लगती है ।
ये सफर है निराशाओ से आशाओ तक का
ये सफर है मन के द्वंद से उबरने का
ये सफर है अन्धेरो से उजाले तक का ।
अन्धेरो को पीछे छोड़ मुझे आगे बढना है
कल को भूल मुझे आज मे जीना है
रोशनी के उस पुंज को छूना है ।