कहने को तो पानी का एक कतरा है पर
कितने ही जज्बातों का दरिया है
हर सपने को बड़े प्यार से आँखों में छुपा रखा था
आँख से आंसू बन के बहा जो, वही टुटा हुआ इक सपना है
बिन कहे मेरे दिल के हर जज्बात को बयां कर जाते है
खुशी हो या गम हर दम साथ निभाते है
लाख छुपाना चाहूं मैं
पर ये आंसू चुगली कर जाते है
हमने उन कि याद में रो रो के टब भर दिए
वो आए और नहा के चल दिए
(ये मेरा लिखा नही है)