दबे कदमो से
सब से छुपते छुपाते
आज चाँद उतर आया मेरे आँगन ।
सुना था कि,
चाँद में दाग होता है ।
हां ,दाग तो था , पर,
वो उसकी खूबसूरती को ओर भी बढा रहा था।
मैं उसकी आभा में ऐसी खोई,
कि एकटक उसे निहारती ही रही
जाने कब तक ।
जब होश आया तो, उससे कुछ कहना चाहा
पर,
उसके जाने का समय हो गया था ।
वो बिना कुछ कहे,
बिना कुछ सुने,
बस अपना दीदार करा कर चला गया
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चाँद
Posted in kavita,kala, tagged आभा, खूबसूरती, चाँद, जिंदगी, दाग, दीदार, समय, होश, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on दिसम्बर 29, 2008| 7 Comments »
जाने वो पल कहाँ खो गए
Posted in zindagi, tagged इन्द्रधनुष, चाँद, चाए, चिंता, चैन, जीवन, दुनिया, पल, बारिश, भाग-दोड, मन, रंग, सावन, सूरज, ज़िंदगी, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on अक्टूबर 1, 2008| 8 Comments »
ज़िंदगी की भाग-दोड में जाने वो पल कहाँ खो गए
जब कुछ पल बैठ कर चैन से बतिया लिया करते थे
एक चाए के प्याले संग
जाने वो पल कहाँ खो गए
जब सावन की पहली बारिश
तन और मन दोनों को भिगो जाती थी
जाने वो पल कहाँ खो गए
जब कितने ही पल डूबते सूरज को निहारते बीत जाते थे
जब घंटो तक चाँद-तारो की दुनिया मे खोये रहते थे
जाने वो पल कहाँ खो गए
जिसमे बसा था इन्द्रधनुष का हर रंग
हर रंग दूजे से जुदा था
पर फिर भी एक-दूजे से जुडा था
जाने वो पल कहाँ खो गए
जब हर चिंता से मुक्त था जीवन
बस अपनी ही छोटी सी दुनिया में मस्त था जीवन
जाने वो पल कहाँ खो गए
काश लौट कर आ सकते वो पल
खवाब
Posted in zindagi, tagged खवाब, चाँद, जिंदगी, फासला, हकीकत, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 23, 2008| 3 Comments »
खवाबो में चाँद को देखा था
उसे पाया भी था
पर हकीकत में
कभी उसे पाने की तमन्ना नही की
मैं खवाब और हकीकत के बीच का फासला जानती हूँ
जिंदगी में कुछ खवाब सच हो जाते है
पर हकीकत से
नजरे चुराकर देखे गए खवाब कभी सच होते नही
मैं खवाब और हकीकत के बीच का फासला जानती हूँ
उदास चाँद
Posted in Uncategorized, tagged अनजान, आसमान, उदास, चाँद, पूर्णिमा, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 5, 2008| 1 Comment »
आज मेरा चाँद उदास है
दुनिया से अनजान
अपने ही ख्यालो में उलझा है
जानती हूँ उसकी उलझन
पर उसे सुलझाना मेरे बसमें नही
मैंने कहा उससे तुम यू उदास न रहा करो
तुम्हारे उदास होने से
आसमान का चाँद भी उदास हो जाता है
तारे टिमटिमाना छोड़ देते है
पूर्णिमा की रात भी अमावस सी लगाती है
और ………
मेरे चाँद ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा
और ……..और क्या
मैंने कहा
और ……..और इस मुस्कान के चेहरे की मुस्कान भी गायब हो जाती है
वह मुस्कुराया और बोला ………
इस चेहरे की मुस्कान को देखकर ही तो मैं अपने हर गम भूल जाता हूँ
पर मेरी मुस्कान तो तुमसे है
उसने मेरे दिल के ये भाव शायद मेरी आँख में पड़ लिए
तभी तो वह बोला
तुम नही चाहती मैं उदास रहू
तो मैं अब कभी उदास नही रहूँगा
हम दोनों अब मिलकर अपनी हर उलझन का हल ढूढेगे
पर अब कभी इस चेहरे की मुस्कान नही जानी चाहिए
मैंने कहा ………
तुम खुश हो तो इस चेहरे की मुस्कान कभी नही जायेगी
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
Posted in zindagi, tagged आसमान, कारवा, चाँद, दिन, पल, Blogroll, hindi, kavita, muskan on जून 19, 2008| 2 Comments »
नही खुशियों की कतार मंजूर ,नही रौशनी की सोगात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही गमो की बात मंजूर ,नही तारो भरी रात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उमीदो का आसमान मंजूर ,नही भीड़ भरा कारवा मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उसके बिन कोई पल मंजूर , नही उसके बिन कोई दिन मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है