अपने जब दूर जाते है
तो
बहुत दर्द देते है
पर
अपने जब पास रह कर
भी
दूरिया बना लेते है
तो
दिल में एक कसक
छोड़ जाते हैै
Posted in apne, tagged अपने, आंसू, कसक, गम, ज़िन्दगी, दर्द, दिल, दूरिया, Blogroll, dard, dil, hindi, hindi poetry, kala, kavita, muskan, zindagi on फ़रवरी 5, 2009| 8 Comments »
अपने जब दूर जाते है
तो
बहुत दर्द देते है
पर
अपने जब पास रह कर
भी
दूरिया बना लेते है
तो
दिल में एक कसक
छोड़ जाते हैै
Posted in zindagi, tagged कभी कभी, चंद कदम, जिंदगी, दुनिया, फासला, मौत, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, zindagi on जनवरी 30, 2009| 7 Comments »
कभी कभी
चंद कदमो का फासला
दुनिया बदल देता है
चंद कदमो का फासला
ज़िन्दगी-भर का फासला बन जाता है
चंद कदमो का फासला
कभी ना मिटने वाला फासला बन जाता है
चंद कदमो का फासला
जिंदगी ओर मौत का फासला बन जाता है
ै
Posted in kavita,kala, tagged आभा, खूबसूरती, चाँद, जिंदगी, दाग, दीदार, समय, होश, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on दिसम्बर 29, 2008| 7 Comments »
दबे कदमो से
सब से छुपते छुपाते
आज चाँद उतर आया मेरे आँगन ।
सुना था कि,
चाँद में दाग होता है ।
हां ,दाग तो था , पर,
वो उसकी खूबसूरती को ओर भी बढा रहा था।
मैं उसकी आभा में ऐसी खोई,
कि एकटक उसे निहारती ही रही
जाने कब तक ।
जब होश आया तो, उससे कुछ कहना चाहा
पर,
उसके जाने का समय हो गया था ।
वो बिना कुछ कहे,
बिना कुछ सुने,
बस अपना दीदार करा कर चला गया
Posted in zindagi, tagged इंतज़ार, उमर, जवाब .., जिंदगी, वक्त, Blogroll, hindi, hindi poetry, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on दिसम्बर 18, 2008| 5 Comments »
वो वक्त जैसे बीत कर भी नही बिता
मेरे आज में शामिल है वो कुछ इस तरह
कहते है वक्त से पहले किसी को कुछ नही मिलता
जाने वो वक्त कब आएगा
उस वक्त के इंतज़ार में तो उमर गुजर गई
वक्त इंसान को क्या से क्या बना देता है
कल तक जो नही देते थे जवाब
आज वो पूछते है हाल
Posted in zindagi, tagged आदत, आहट .महफ़िल, डर, तन्हाई, िजंदगी, Blogroll, hindi, hindi poetry, kala, muskan, zindagi on दिसम्बर 12, 2008| 5 Comments »
तन्हाई की ऐसी आदत हो गई है
कि महफ़िल से डर लगता है
किसी के जाने से तो कभी ना डरे
पर किसी के आने की आहट से भी डर लगता है