दुनिया की भीड़ में खो गए, तुम कहाँ
हर पल नज़रे तुम्हे ही ढूंढती है
जानती है की तुम नही हो यहाँ, पर
फ़िर भी तुम्हारा ही नजारा ढूंढती है
Posted in tum, tagged नजारा, पल, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, tum, zindagi on जुलाई 21, 2008| 5 Comments »
दुनिया की भीड़ में खो गए, तुम कहाँ
हर पल नज़रे तुम्हे ही ढूंढती है
जानती है की तुम नही हो यहाँ, पर
फ़िर भी तुम्हारा ही नजारा ढूंढती है
Posted in tum, tagged अरमान, एतराज, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, tum, zindagi on जुलाई 15, 2008| 3 Comments »
Posted in khawab, tagged ख्वाब, झलक, नैना kala, Blogroll, muskan, tum, zindagi on मई 17, 2008| 1 Comment »
तेरी इक नजर को तरसे है ये नैना
पर तू ना जाने कहाँ गुम है।
ख्वाबो मे इक झलक दिखलाकर
फिर से ना जाने कहाँ गुम है।
तुझसे ना दूर होंगे ऐसा तेरा वादा था
पर हर वादा भूलकर तू ना जाने कहाँ गुम है ।
Posted in tum, tagged Blogroll, hindi poetry, kala, kavita, muskan, tum on मई 7, 2008| 3 Comments »
चोखट पर नजरे लगाए बैठे थे, इंतज़ार मे नजरे बिछाये बैठे थे
दरवाजे पर कोई दस्तक हुई , पर क्या ये तुम हो ।
सपनों मे रोज़ मिलते थे तुमसे ,दूर जाकर भी तुम दूर हो न पाए
दर पर मेरे खड़ा है कोई ,पर क्या यह तुम हो ।
नजर आती है चिथडो मे लिपटी काया , मुख पर सलवटे हजार
तुम तो ऐसे न थे ,पर क्या यह तुम हो ।
बरसों न जाने कहां रहे ,इक बार मेरी सुध तक न ली
मेरी सुध लेने आया हैं जो ,पर क्या ये तुम हो ।
छोड़ गए थे मुझे ,जाने किस आसरे
लौट कर आए जो तुम ,पर क्या ये तुम हो ।
Posted in tum, tagged Blogroll, dil, gajal, kafiya, kala, kavita, muskan, tum on अप्रैल 28, 2008| 3 Comments »
हम तो आए थे आपसे, हाल ए िदल बयाँ करने
पर बातो ही बातो मे , गजल बन गई ।
जो िदल मे था, जबाँ से सब कह िदया
और शबदो ही शबदो मे, गजलबन गई ।
तुम िबना कुछ कहे, बस देखते ही रह गए
हमने आखो से आखो को िमलाया तो, गजल बन गई ।
तुमहारे कुछ कहे िबना, ये गजल अधूरी थी
पर जब तुमने कािफये से कािफये को िमलाया तो ,गजल बन गई ।