नही खुशियों की कतार मंजूर ,नही रौशनी की सोगात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही गमो की बात मंजूर ,नही तारो भरी रात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उमीदो का आसमान मंजूर ,नही भीड़ भरा कारवा मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उसके बिन कोई पल मंजूर , नही उसके बिन कोई दिन मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
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क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
Posted in zindagi, tagged आसमान, कारवा, चाँद, दिन, पल, Blogroll, hindi, kavita, muskan on जून 19, 2008| 2 Comments »