आज मेरा चाँद उदास है
दुनिया से अनजान
अपने ही ख्यालो में उलझा है
जानती हूँ उसकी उलझन
पर उसे सुलझाना मेरे बसमें नही
मैंने कहा उससे तुम यू उदास न रहा करो
तुम्हारे उदास होने से
आसमान का चाँद भी उदास हो जाता है
तारे टिमटिमाना छोड़ देते है
पूर्णिमा की रात भी अमावस सी लगाती है
और ………
मेरे चाँद ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा
और ……..और क्या
मैंने कहा
और ……..और इस मुस्कान के चेहरे की मुस्कान भी गायब हो जाती है
वह मुस्कुराया और बोला ………
इस चेहरे की मुस्कान को देखकर ही तो मैं अपने हर गम भूल जाता हूँ
पर मेरी मुस्कान तो तुमसे है
उसने मेरे दिल के ये भाव शायद मेरी आँख में पड़ लिए
तभी तो वह बोला
तुम नही चाहती मैं उदास रहू
तो मैं अब कभी उदास नही रहूँगा
हम दोनों अब मिलकर अपनी हर उलझन का हल ढूढेगे
पर अब कभी इस चेहरे की मुस्कान नही जानी चाहिए
मैंने कहा ………
तुम खुश हो तो इस चेहरे की मुस्कान कभी नही जायेगी
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उदास चाँद
Posted in Uncategorized, tagged अनजान, आसमान, उदास, चाँद, पूर्णिमा, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 5, 2008| 1 Comment »
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
Posted in zindagi, tagged आसमान, कारवा, चाँद, दिन, पल, Blogroll, hindi, kavita, muskan on जून 19, 2008| 2 Comments »
नही खुशियों की कतार मंजूर ,नही रौशनी की सोगात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही गमो की बात मंजूर ,नही तारो भरी रात मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उमीदो का आसमान मंजूर ,नही भीड़ भरा कारवा मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
नही उसके बिन कोई पल मंजूर , नही उसके बिन कोई दिन मंजूर
क्योंकि आज मेरा चाँद बादलो में छिपा है
कटी पतंग हो गई है
Posted in zindagi, tagged आसमान, कटी पतंग, Blogroll, hindi poetry, kala, kavita, muskan on मई 10, 2008| 1 Comment »
ना जा उनके मुहलले मे उनकी गिलयाँ तंग हो गई है
छोड के अपनी जमीं वो भी हमारे संग हो गई है
इधर उधर नजरे ना जाने कया ढूढँती है
तुमहे सामने पा के ये दंग हो गई है
आसमान पे सतरंगी सपनो की घटाएँ छाई है
लगता है जैसे सारी दुिनया एकरंग हो गई है
बन िततली खुले गगन मे वो उड जाएँगी
कह दो जमाने को वो कटी पतंग हो गई है