गम का भी अपना ही मजा है
गम न हो तो जीवन इक सजा है
गम है तभी तो खुशी का अहसास है
पर
गम अगर हद से बढ जाए
गम अगर बर्दाशत से बाहर हो जाए
तो खुशी का अहसास ही मर जाता है
Archive for जुलाई, 2008
गम
Posted in zindagi, tagged अहसास, खुशी, गम, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 10, 2008| 1 Comment »
उदास चाँद
Posted in Uncategorized, tagged अनजान, आसमान, उदास, चाँद, पूर्णिमा, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 5, 2008| 1 Comment »
आज मेरा चाँद उदास है
दुनिया से अनजान
अपने ही ख्यालो में उलझा है
जानती हूँ उसकी उलझन
पर उसे सुलझाना मेरे बसमें नही
मैंने कहा उससे तुम यू उदास न रहा करो
तुम्हारे उदास होने से
आसमान का चाँद भी उदास हो जाता है
तारे टिमटिमाना छोड़ देते है
पूर्णिमा की रात भी अमावस सी लगाती है
और ………
मेरे चाँद ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा
और ……..और क्या
मैंने कहा
और ……..और इस मुस्कान के चेहरे की मुस्कान भी गायब हो जाती है
वह मुस्कुराया और बोला ………
इस चेहरे की मुस्कान को देखकर ही तो मैं अपने हर गम भूल जाता हूँ
पर मेरी मुस्कान तो तुमसे है
उसने मेरे दिल के ये भाव शायद मेरी आँख में पड़ लिए
तभी तो वह बोला
तुम नही चाहती मैं उदास रहू
तो मैं अब कभी उदास नही रहूँगा
हम दोनों अब मिलकर अपनी हर उलझन का हल ढूढेगे
पर अब कभी इस चेहरे की मुस्कान नही जानी चाहिए
मैंने कहा ………
तुम खुश हो तो इस चेहरे की मुस्कान कभी नही जायेगी
क्यों?
Posted in zindagi, tagged क्यों, जिंदगी, Blogroll, hindi, kala, kavita, muskan, poetry, zindagi on जुलाई 2, 2008| 4 Comments »
क्यों ?
जिंदगी बार- बार
उसी मोड़ पे ले आती है
जहाँ से हम चले थे
क्यों ?
जिंदगी बार- बार
उन्ही सवालों को हमारे सामने ले आती है
जिनके जवाब हमारे पास नही है
या
हम देना ही नहीं चाहते
क्यों ?
बार- बार वही यादे
हमारे सामने आ जाती है
जिन्हें हम भुला देना चाहते है
क्यों ?
जिंदगी बार बार
हमारे साथ ऐसा करती है
क्यों ?